सरकारी नियम बनाये जाते हैं सरकार को विश्वास कायम रखने के लिए लेकिन नियमो को सरकारी कर्मचारी ही घटा बढ़ा देते हैं. जिससे जनता में अविश्वास पैदा हो जाता है. और मजबूरन सरकारी नियमो का पालन करने जनता को आगे आना पड़ता है.
आबकारी एक्ट के तहत कोई भी शराब दुकान शैक्षणिक संसथान, मंदिर, आश्रम या फिर ऐसी जगह नहीं होनी चाहिए जिससे आम जीवन पर दुष्प्रभाव पड़े. इस नियम का पालन कठोरता से करने हेतु आबकारी में प्रावधान है और इसका पालन न करने पर शराब लाइसेंसी की लाइसेंस तक रद्द करने का प्रावधान है परन्तु क्या फर्क पड़ता है जब आबकारी अधिकारी की प्रत्यक्ष रूप से मजूरी हो तब लाख जनता आन्दोलन या शिकयत करे. ऐसे नियमो की धज्जिया उड़ने में देर नहीं लगती है समूचे कोरिया जिले में सबसे महंगा ठेका इस वर्ष मनेन्द्रगढ़ का हुआ है शुरुआत से यह शराब ठेका विवादों में घिरा रहा है कभी प्रिंट रेट से महँगी शराब बेचना तो कभी खुले आम ठेकेदारों से स्थानीय होटलों में शराब बिकवाना. ताजा विवाद इस शराब दुकान का कन्या विद्यालय के महज १२८ फिर की दूरी का मामला सामने आया है शिकायत करता संतोष गुप्ता की माने तो आबकारी एक्ट के अनुसार १५० फिट के दायरे में किसी भी शैक्षणिक संसथान, मंदिर, अस्पताल, बस सतिंद, धरमशाला, आदि, होना चाहिए, परन्तु मनेन्द्रगढ़ में संचालित विदेशी शराब दुकान एवं देशी शराब दुकान दोनों नियम के विरुद्ध चल रही है.
शिकायतकर्ता की माने तो मनेन्द्रगढ़ में देशी एवं विदेशी मदिरा दुकान नियम विरुद्ध चल रही है इस सम्बन्ध में जब आबकारी विभाग के अधिकारीयों से चर्चा की तो वे कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया ज्ञात हो पूर्व में उक्त दुकानों के खिलाफ आन्दोलन एवं धरना प्रदर्शन हो चूका है लेकिन दुकान संचालको एवं आन्दोलनकारियों के बीच आबकारी अधिकारियो ने जबरदस्त मध्यस्थता भुकिमा निभाई. फलस्वरूप दुकाने यथावत रही लेकिन आन्दोलन समाप्त हो गया. इसे महज इत्तेफाक कहे या साजिश कि दो बार आन्दोलन करने के बाद भी दुकाने हट नहीं पायी अब देखना यह होगा की कि इस शिकायत पर क्या सरकार गंभीर होती है या फिर से इस मामले को दबा दिया जाता है.
(सहारा समय)
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