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अधिकार समझ कर ले योजनाओ का लाभ: संसदीय सचिव श्री राजवाड़े।

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चिरमी जन समस्या निवारण शिविर में 67 आवेदन मौके पर ही हुए निराकृत

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किसानो को स्प्रेयर पुमप, वन्धिकार के पट्टे व निःशुल्क बीज मिनीकिट का वितरण

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प्राकृतिक आपदा पीडितो को मिली 3.27 लाख रूपए की रहत राशी.

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संसदीय सचिव श्री राजवाड़े जी ने प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र भवन का किया लोकार्पण.

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झुमका बाँध में बाढ़ आपदा प्रबंधन का हुआ पूर्वाभास. सेना के तैरक और मछुआ समिति के सदस्यों ने बाढ़ राहत कार्य का किया संयुक्त पूर्वाभास. एस.इ.सी.एल. द्वारा गैस और अग्नि दुर्घटना की स्थिति में किये जाने वाले आपदा प्रबंधन का प्रदर्शन.

June 21, 2011

Bhalu Hamle se Maut


जून के पहले सप्ताह में कोरिया जिले के सीमावर्ती इलाको में जिसमे प्रमुख रूप से नयी लेदरी नगर पंचायत के लोगो को भालू ने हमले से ३ लोगो को मार डाला था और ५ लोगो को घायल कर दिया था घायलों को उपचार के लिए सरकारी अस्पताल मनेन्द्रगढ़ में भारती कराया गया था, लेकिन वन विभाग के अल अफसरों की निष्क्रियता की वजह से घायलों में ११ वर्षीया विजेंद्र की मौत हो गयी.

आपको शायद लग रहा होगा की विजेंद्र की मौत का समय आ गया और उसकी मौत हो गयी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है. विजेंद्र की जान बच सकती थी लेकिन वन विभाग के उदासीन रवैये के कारण सही उपचार न होने के कारण उसकी जान चली गयी, हद तो तब हो गयी मरणोपरांत पोस्टमार्टम के लिए उसके परिजनों को ४८ घंटो का इंतजार करना पड़ा. 
दिनांक १ जून को विजेंद्र अपने दादा के साथ जंगल में लकड़ी काटने गया था की अचानक दादा पर भालू ने हमला कर दिया, दादा पर हमला देख ११ वर्षीय विजेंद्र को रहा न गया और अपने दादा को बचाने के लिए भालू से भिड गया जिसमे विजेंद्र और उसके दादा गंभीर रूप से घायल हो गए. और उन्हें उपचार हेतु सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, हालात में सुधार न होता देख सरकारी अस्पताल प्रबंधन द्वारा सिटीस्केन के लिए विजेंद्र को बिलासपुर रिफर किया गया, जिसमे वनविभाग द्वारा १ ड्राईवर और एक गार्ड को साथ में भेजा गया लेकिन मानवता को तारतार करते हुए दोनों वनविभाग के कर्मचारियों ने बिलासपुर एम्स हॉस्पिटल के दरवाजे पर छोड़ कर वापस चले गए साथ में ५ हजार रुपये उन्हें पकड़ा दिया गया. भोले भले पंडो जाती के लोगो ने शहर की चकाचौंध कभी नहीं देखी थी. २ दिन तक हॉस्पिटल में कागज लेकर घूमते रहे. अंत में १८०० रुपये लेकर अस्पताल प्रबंधन द्वारा विजेंद्र का एक्स- रे थमा दिया गया. विजेंद्र के परिजनों के पास वापस आने के शिवाये और कोई चारा नहीं था. इसलिए उन्होंने ४००० में मार्शल बुक कर वापस मनेन्द्रगढ़ ले आये. जिसकी सूचना सरकारी अस्पताल को दी गयी और सरकारी अस्पताल प्रंधन द्वारा वनविभाग को दी गयी. लेकिन फिर भी उसके इलाज के कोई कदम नहीं उठाया गया. अंततः १३ जून की शाम विजेंद्र ने दम तोड़ दिया.

विजेंद्र के चाचा द्वारा मौत की सूचना वनविभाग को प्रबंधन को दी गयी. लेकिन लगभग ३६ घंटो तक उसका शव उनके घर ही पड़ा रहा बाद में नगर पंचायत नयी लेदरी के अध्यक्ष को जानकारी मिली तो उन्होंने अपने खर्चे से पोस्ट मार्टम हेतु शव चीरघर भेजा.

इस सम्बन्ध में वन अधिकारीयों से जब पूछा गया तो उनका कहना था विजेंद्र और उनके दादा को जंगल जाना ही नहीं था. न जाते न उनको मौत होती साथ ही रेडक्रॉस सोसाईटी द्वारा उनको दवा उपलब्ध न कराये जाने पर उन्होंने कहा की वनविभाग की कोई गुड विल नहीं है की उधारी मिल सके. जबकि पूर्व में डी. ऍफ़. ओ मनेन्द्रगढ़ द्वारा कहा गया था की घायलों को समुचित उपचार दिया जावेगा और उनकी दवाइयों के रेड क्रोस सोसाईटी को कह दिया गया है सारी दवाइयां निःशुल्क उपलब्ध होंगी. वाही रेड क्रोस सोसाईटी के संचालक से जब हमने बात की तो उनका साफ़ तौर पर कहा था की किसी भी घायल को वनविभाग द्वारा दवैया मुहैया करने की बात नहीं की गयी है. और सारे घायल प्राइवेट दवाइया ले रहे हैं.

वाही उसके दादा की हालत भी गंभीर बनी हुई है, कभी भी कोई भी प्रत्याशित घटना हो सकती है. अगर वनविभाग अपनी कुम्भ करणीय नींद से नहीं जगा तो शायद दादा की भी मौत हो सकती है. हांलाकि वनविभाग द्वारा विजेंद्र की मौत के लिए २ लाख रुपये देने की बात कही गयी है.

(सहारा समय)

June 04, 2011

Bhalu Hamla

कोरिया के मनेन्द्रगढ़ में इन दिनों भालू का आतंक फैला हुआ है पिछले ४ दिनों में मनेन्द्रगढ़ और उससे सटे सीमावर्ती म.प्र. राज्य के झीमर को लेकर भालू ने लोगो पर हमला किया. जिसमे ३ लोगो की अब तक मौत हो चुकी है और शेष ५ लोग घायल है, जिनका उपचार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनेन्द्रगढ़ में चल रहा है.

हलाकि वनविभाग मनेन्द्रगढ़ की नींद अब तक नहीं उडी है, जिस आदमखोर भालू को पिंजरे में होना चाहिए वो अभी भी खुले आम घूम रहा है, दिनांक ३०/०५/२०११ सुबह ५ बजे मार्निंग वाक पर गए कृष्ण गोपाल तिवारी पर भालू ने हमला किया जो की सिद्ध बाबा घाट हुआ, जिसे वनविभाग ने साधारण सी बात मानकर मुआवजा की बात कह कर मामले को रफा दफा कर दिया. इसके बाद उसने ग्रामीणों को निशाना बनाया. ०१/०६/२०११ को ठीक सुबह ५ बजे शारदा देवी व कृष्ण सिंह पर भालू ने हमला किया, जिसमे शारदा देवी की मौत हो गयी, भालू म.प्र. व मनेन्द्रगढ़ की सीमा से सटे मुख्य मार्गो व जंगलो में विचरण कर रहा था. इस बात की जानकारी होने के बाद भी वन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा. ०१/०६/२०११ को ही ११ बजे दोपहर भालू ने ३ लोगो पर हमला किया जिसमे धनसाय और गुलाब की मौत घटना स्थल पर ही हो गयी, रामप्रताप जान बचने में सफल हो गया.

इन घटनाओ के बाद भी भालू शांत नहीं बैठा उसने ०१/०६/२०११ को शाम को पुरानी लेदरी के सुरेन्द्र जो कि तेंदुपत्ता बीनने गया था उस पर हमला बोल दिया सुरेन्द्र के ऊपर हमला होते देख उसका पोता (८ वर्षीय) महेंद्र  टांगी लेकर भालू के पीछे दौड़ पड़ा जिससे सुरेन्द्र को छोड़ कर भालू ने महेंद्र पर हमला बोल दिया. इस वक़्त दोनों मौत से लड़ रहे हैं. और अस्पताल में भर्ती है. 
इन घटनाओ के बावजूद भालू पर नकेल कसने के लिए वनविभाग द्वारा ठोस पहल नहीं की जा रही है. लेकिन मुआवजा देने की बात कही जा रही है.

पिछले ४ दिनों में ८ हमलो में ३ लोगो ने अपने प्राण खो दिए हैं क्षेत्र में दहशत का माहौल व्याप्त है लेकिन विभाग द्वारा खुनी भालू को पकड़ने के बजाये लोगो को समझाइश की जा रही है. अब देखना होगा की भालू का अगला शिकार कौन होगा.



(सहारा समय)