मनेन्द्रगढ़ को जिला बनाने को लेकर १६ अगस्त को स्थानीय लोगो ने जिला बनाओ आन्दोलन शुरू किया था, इस समिति में कांग्रेस, भाजपा, के साथ साथ स्थानीय लोगो ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया, आन्दोलन की शुरुआत के दिन जन समुदाय को संबोधित करते हुए विधायक दीपक पटेल ने अंतिम छोर तक लड़ाई का आश्वासन दिया. लेकिन आन्दोलन के आठवे दिन 23 अगस्त को विधायक दीपक पटेल के लापता होने की खबर कांग्रेसियों ने स्थानीय थाने मनेन्द्रगढ़ में कराइ.
स्वफूर्त चल रहे इस आन्दोलन को उम्मीद की एक किरण नज़र विधायक दीपक पटेल के रूप में नज़र आई उन्होंने सुरुआती दिनों में आन्दोलन कारियों को समझाइश दी थी किसी उग्र रूप का प्रदर्शन करके हम मनेन्द्रगढ़ को जिला नहीं बना सकते. लेकिन अगर शांति प्रिय आन्दोलन जारी रहा था हमारा मनेन्द्रगढ़ जिला अवश्य बनेगा, आन्दोलन कारियों ने ठीक वैसा ही किया. मनेन्द्रगढ़ बंद, चक्का जाम, महिला मोर्चा, बच्चो की रैली, मशाल रैली और काली पट्टी लगा कर वे विरोध कर रहे थे. इसी बीच मनेन्द्रगढ़ से प्रतिनिधि मंडल रायपुर अपनी मांगो को लेकर मुख्य मंत्री डॉ. रमन सिंह से २१ अगस्त को मिलने गया जिसमे मनेन्द्रगढ़ विधायक के नेतृत्व में, भरतपुर विधायक फूल सिंह, भाजपा वरिष्ठ नेता सुदर्शन अग्रवाल, लखन श्रीवास्तव, अनिल केशरवानी, अर्चना जैसवाल, नगर पालिका अध्यक्ष धर्मेन्द्र पटवा, नगर पंचायत अध्यक्ष वीरेंदर राणा, सत्य नारायण के साथ युवा मोर्चा जिलाध्क्ष्य संजीव सिंह शामिल हुए. जब वह प्रतिनिधि मंडल रवाना हुआ तो यह भी तय किया गया की जिला बनाओ संघर्ष समिति के दो सदस्यों भी शामिल किया किये जायेंगे. और उन्हें मुख्या मंत्री से मिलने के लिए साथ ले जायेंगे लेकिन एन वक्त पर सिर्फ भाजपा पदाधिकारी व भाजपा विधायक ही रवाना हुए, जिससे आन्दोलन कारियों को अविश्वास हुआ क्यों की जिन भाजपा नेताओ एवं विधायक को ले जाया जा रहा था उन्होंने वादा किया था कि कुछ भी हो जाये लेकिन वो मनेन्द्रगढ़ को जिला बनाने की मांग हो प्रभावी रूप से रखेंगे और अगर मुख्य मंत्री नहीं माने तो वे सभी अपना इस्तीफ़ा मुख्य मंत्री के टेबल में पर रख आयेंगे.
२२ अगस्त को प्रतिनिधि मंडल मनेन्द्रगढ़ पहुंचा जनता बेसब्री से उनके आने का इन्तेजार कर रही थी शाम ४ बजे बैठक आयोजित की गयी जिसमे प्रतिनधि मंडल ने अपनी बात कही, हम आपको दस सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल जिसके मुखिया विधायक दीपक पटेल थे वे मीटिंग में उपस्थित नहीं थे जिससे जनता काफी निराश हुई और जैसे प्रतिनिधि मंडल ने अपनी बात ख़तम की वैसे ही कांग्रेस पार्टी के लोग आग बबूला हो गए. क्योंकि जिस प्रकारकी बाते जनता से कही गयी थी उस प्रकार की कोई बात प्रतिनिधि मंडल ने नहीं की और सिर्फ आश्वाशन लेकर आ गए. जिस पर कांग्रेसियों ने फायदा उठाते हुए विधायक दीपक पटेल को वहा उपस्थित होने की बात कहते रहे, और विधायक को लाओ का नारा लगते रहे.
मामले को शांत न होते देख भाजपा जन प्रतिनिधि के सदस्य सुदर्शन अग्रवाल वहा से चले गए वाही इस नज़ारे को देख जनता मूक दर्शक बनी रही. क्योंकि जिस आन्दोलन की नीव जनता ने राखी थी वह डगमगाने लगा था, वही क्षुब्ध कांग्रेसियों ने विधायक को न पाकर उसके लापता होने की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराइ.
मीडिया में जैसे ही बात की खबर छपी आनन् फानन में भाजपाइयो ने एक बैठक आहूत की जिसमे उन्होंने कांग्रेसियों की मानसिकता को छोटा बताया.
जिला बनाओ संघर्ष समिति के इस आन्दोलन में विधायक के लापता होने की खबर जसी ही प्रकाशित हुई आन्दोलन बिखर गया. क्योंकि जिस सोच से यह आन्दोलन शुरू किया गया था वो सोच ही दूषित निकली. जनता दो चक्कों के पातो में पिस कर रह गयी. और एक तरफ भाजपाई कांग्रेसियों पर आरोप लगते हैं और दूसरी तरफ कांग्रेसी भाजपाइयो पर निशाना साधते रहते हैं लेकिन दोनों ही सूरतो में मनेन्द्रगढ़ की जनता पिसती नजर आई वही स्वार्थ की राजनीति से उठकर अगर मनेन्द्रगढ़ के हित के बारे में नेताओ ने सोचा होता तो शायद यह आन्दोलन अन्ना हजारे के जैसे विशाल रूप लेता लेकिन राजनीति हमेशा अपना स्वार्थ देखती है.