विगत दिनों कोरबा के मनेंद्रगढ़ वन मंडल कार्यालय में लगी संदिग्ध रूप से लगी आग में रिकॉर्ड रूम में रखे सारे महत्वपूर्ण कागजात राख के ढेर में तबदील हो गए। संदिग्ध रूप से आग लगने के बाद यह सवाल उठ खड़े हुए हैं कि कहीं आग जानबूझ कर तो नहीं लगाई गई थी। सूत्र बताते हैं कि विगत काफी समय से सूचना के अधिकार से परेशान वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने सूचना के अधिकार का जवाब देने से बचने के लिए यह योजना बनाई और कार्यालय में आग लगा दी। प्रत्यक्षदर्शियों की बात मानें, तो कार्यालय में आग लगने के पूर्व धमाके की आवाज भी सुनी गई थी, जिसे वन विभाग के अधिकारियों ने दबा दी है। संदेहजनक बात तो यह है कि वन विभाग के कार्यालय के कुछ दूरी पर ही वनमंडलाधिकारी का निवास है। आग लगने के बाद घटना स्थल पर न ही कोई आला अधिकारी पहुंचा और न ही वनमंडलाधिकारी। प्रत्यक्षदर्शियों की बात मानें, तो कार्यालय में लगी आग बुझाने का कोई उपाय तक नहीं किया गया। इतना ही नहीं. अपनी साख बचाने और दिखावे के लिए कर्मचारी रिकॉर्ड रूम में महत्वपूर्ण कागजात में लगी आग छोड़कर जल रहे सोफा और कुर्सियों को बचाने की कोशिश करते रहे। अगर दस्तावेजों से भरी अल्मारियों को बाहर निकालते तो शायद कुछ अहम रिकॉर्ड जरूर बच जाते।
महत्वपूर्ण रिकॉर्ड स्वाहा : विभागीय कर्मचारियों की मानें, तो 1995 से अब तक के महत्वपूर्ण कागजात पूरी तरह से जल कर राख हो गए जिसमें कर्मचारियों की सर्विस रिकॉर्ड के साथ आय, व्यय के महत्वपूर्ण रिकॉर्ड मौजूद थे।
अधिकारियों के बयान : वनमंडल में लगी आग के बाद अधिकारी जो कारण बता रहे है वह किसी के गले नहीं उतर रही है। वनमंडल अधिकारियों के अनुसार, आग शार्टसर्किट के कारण लगी। अगर यह बात मान भी ली जाए तो यह यह कैसे हो सकता है कि आग से सिर्फ आलमारी में रखे कागजात ही जले। यह सीधी सी बात है कि किसी भी पदार्थ को जलने के लिए आक्सीजन की आवश्यकता होती है और बंद आलमारी में आक्सीजन पूर्ण रूप से नहीं हो सकता।
मांगी गई थी अहम जानकारियां : कहा जा रहा है कि सूचना के अधिकार के तहत कुछ कार्यकर्ताओं अहम जानकारियां मांगी थीं। आरटीआई कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस सूचना के तहत आय, व्यय की हेराफेरी के साथ और भी कई प्रकार के घोटाले के खुलासे की पूरी संभावना थी। इससे वहां के अधिकारी और कर्मचारी खौफ में थे। तमाम जानकारियां सूचना के अधिकार के तहत अपील में चल रही थी और खुलासे के डर से प्रायोजित तरीके आगजनी की घटना को अंजाम दे दिया गया।
पुलिस को नहीं दी गई सूचना : सबसे बड़ी बात यह है कि आगजनी की सूचना तत्काल पुलिस को क्यों नहीं दी गई और न ही आग पर काबू पाने का कोई उचित उपाय किए गए। इतना ही नहीं, आगजनी में होने वाले नुकसान को काफी बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया जबकि सारे समान को बचा कर कर्मचारी अपने घर ले गए।
अजय विश्वकर्मा