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कोरिया समाचार

अधिकार समझ कर ले योजनाओ का लाभ: संसदीय सचिव श्री राजवाड़े।

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चिरमी जन समस्या निवारण शिविर में 67 आवेदन मौके पर ही हुए निराकृत

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किसानो को स्प्रेयर पुमप, वन्धिकार के पट्टे व निःशुल्क बीज मिनीकिट का वितरण

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प्राकृतिक आपदा पीडितो को मिली 3.27 लाख रूपए की रहत राशी.

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संसदीय सचिव श्री राजवाड़े जी ने प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र भवन का किया लोकार्पण.

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झुमका बाँध में बाढ़ आपदा प्रबंधन का हुआ पूर्वाभास. सेना के तैरक और मछुआ समिति के सदस्यों ने बाढ़ राहत कार्य का किया संयुक्त पूर्वाभास. एस.इ.सी.एल. द्वारा गैस और अग्नि दुर्घटना की स्थिति में किये जाने वाले आपदा प्रबंधन का प्रदर्शन.

June 28, 2012

आरटीआई से डरकर लगाई थी आग?


विगत दिनों कोरबा के मनेंद्रगढ़ वन मंडल कार्यालय में लगी संदिग्ध रूप से लगी आग में रिकॉर्ड रूम में रखे सारे महत्वपूर्ण कागजात राख के ढेर में तबदील हो गए। संदिग्ध रूप से आग लगने के बाद यह सवाल उठ खड़े हुए हैं कि कहीं आग जानबूझ कर तो नहीं लगाई गई थी। सूत्र बताते हैं कि विगत काफी समय से सूचना के अधिकार से परेशान वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने सूचना के अधिकार का जवाब देने से बचने के लिए यह योजना बनाई और कार्यालय में आग लगा दी। प्रत्यक्षदर्शियों की बात मानें, तो कार्यालय में आग लगने के पूर्व धमाके की आवाज भी सुनी गई थी, जिसे वन विभाग के अधिकारियों ने दबा दी है। संदेहजनक बात तो यह है कि वन विभाग के कार्यालय के कुछ दूरी पर ही वनमंडलाधिकारी का निवास है। आग लगने के बाद घटना स्थल पर न ही कोई आला अधिकारी पहुंचा और न ही वनमंडलाधिकारी। प्रत्यक्षदर्शियों की बात मानें, तो कार्यालय में लगी आग बुझाने का कोई उपाय तक नहीं किया गया। इतना ही नहीं. अपनी साख बचाने और दिखावे के लिए कर्मचारी रिकॉर्ड रूम में महत्वपूर्ण कागजात में लगी आग छोड़कर जल रहे सोफा और कुर्सियों को बचाने की कोशिश करते रहे। अगर दस्तावेजों से भरी अल्मारियों को बाहर निकालते तो शायद कुछ अहम रिकॉर्ड जरूर बच जाते।
महत्वपूर्ण रिकॉर्ड स्वाहा : विभागीय कर्मचारियों की मानें, तो 1995 से अब तक के महत्वपूर्ण कागजात पूरी तरह से जल कर राख हो गए जिसमें कर्मचारियों की सर्विस रिकॉर्ड के साथ आय, व्यय के महत्वपूर्ण रिकॉर्ड मौजूद थे।
अधिकारियों के बयान : वनमंडल में लगी आग के बाद अधिकारी जो कारण बता रहे है वह किसी के गले नहीं उतर रही है। वनमंडल अधिकारियों के अनुसार, आग शार्टसर्किट के कारण लगी। अगर यह बात मान भी ली जाए तो यह यह कैसे हो सकता है कि आग से सिर्फ आलमारी में रखे कागजात ही जले। यह सीधी सी बात है कि किसी भी पदार्थ को जलने के लिए आक्सीजन की आवश्यकता होती है और बंद आलमारी में आक्सीजन पूर्ण रूप से नहीं हो सकता।
मांगी गई थी अहम जानकारियां : कहा जा रहा है कि सूचना के अधिकार के तहत कुछ कार्यकर्ताओं अहम जानकारियां मांगी थीं। आरटीआई कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस सूचना के तहत आय, व्यय की हेराफेरी के साथ और भी कई प्रकार के घोटाले के खुलासे की पूरी संभावना थी। इससे वहां के अधिकारी और कर्मचारी खौफ में थे। तमाम जानकारियां सूचना के अधिकार के तहत अपील में चल रही थी और खुलासे के डर से प्रायोजित तरीके आगजनी की घटना को अंजाम दे दिया गया।
पुलिस को नहीं दी गई सूचना : सबसे बड़ी बात यह है कि आगजनी की सूचना तत्काल पुलिस को क्यों नहीं दी गई और न ही आग पर काबू पाने का कोई उचित उपाय किए गए। इतना ही नहीं, आगजनी में होने वाले नुकसान को काफी बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया जबकि सारे समान को बचा कर कर्मचारी अपने घर ले गए।

अजय विश्वकर्मा

June 14, 2012

Nilambit Swasth Karmi


कोरिया जिले में 2009 में स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती की गई थी इस भर्ती प्रक्रिया के दौरान कई सवाल खड़े हुए थे और विधानसभा में भी यह मुद्दा गूंजा था इस मुद्दे पर जाँच बैठी जाँच में सहायक ग्रेड 2 के कर्मचारी के साथ 76 स्वास्थ्य कर्मियों को निलंबन किया गया
2009 में स्वास्थ्य कर्मियों को भर्ती की गई भर्ती में कुल 106 लोगो ने अपना आवेदन दिया,आवेदन के बाद 2 वर्षो तक क्रमश भर्ती प्रक्रिया चलती रही और कुल 76 लोगो को स्वास्थ्य कर्मियों के पद पर नियुक्ति प्रदान की गई इनकी नियुक्ति में भर्ती प्रक्रिया के नियमो को ताक में रख कर भर्ती की गई. ना ही किसी प्रकार सामूहिक साक्षात्कार लिया गया और ना ही नियुक्ति प्राप्त करने वालो की सूची प्रकाशित की गई इस मामले को मिडिया में उछाला गया तो बात विधानसभा तक पहुंची और विधानसभा में यह प्रश्न गूंजा, जवाब में इस मामले की जाँच के आदेश जिला प्रशासन को दी गई, शुरूआती जाँच में मुख्य चिकित्सा अधिकारी जी.स.ठाकुर का तबादला अंबिकापुर कर दिया और उन्हें चिकित्सा विभाग का डायरेक्टर नियुक्त का दिया गया

इस सम्बन्ध में अभ्थियो ने तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी के सहायक कर्मचारी पर पैसा लें देन का आरोप लगाया.
सूत्रों की माने तो जिन स्वास्थ्यकर्ता को निलंबित किया गया है उन्होंने तत्कालीन अधिकारी को मोती रकम अपनी नियुक्ति के एवज में दी थी लेकिन मामले को तूल पकड़ता देख तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सर्वप्रथम कोरिया जिले से हटाया गया और सहायक ग्रेड 2 के कर्मचारी जेम्स कुमार को निलंबित किया गया है जेम्स कुमार  तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी के काफी करीबी माने जाते है और जिला प्रशासन को पिछले दो माह से उनकी तलाश है और नियुक्ति सम्बन्धी समस्त दस्तावेज उन्ही के पास थे लेकिन कई बार अल्टीमेटम देने के बाद भी वे जिला कार्यालय में पेश नहीं हुए और उन्हें अंततः हटाया गया हम आपको बता दे जेम्स अपने घर से गायब है और जब तक वह पकड़ में नहीं आता तो ये पता नहीं चलेगा की आखिर धांधली किस स्तर की हुई है और इस फर्जीवाड़े में उनके साथ साथ कौन कौन शामिल था इस घटना के मद्देनजर वर्तमान तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने 76 स्वास्थ्य कर्मियों का निलंबन जारी किया है

इस  सम्बन्ध में हमने कलेक्टर कोरिया से मिलने की कोशिश की लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो सकी लेकिन सवाल यह आता है इस भर्ती प्रक्रिया में किसी वरिष्ठ अधिकारी के ऊपर अब तक गज क्यों नहीं गिरी और सवाल यह भी आता है की डायरेक्टर के पद पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को बैठने की जल्दी किसे थी , साथ ही अब तक सहायक ग्रेड 2 का कर्मचारी गायब क्यों है और सबसे अहम् बात जिन 76 लोगो को निलंबित किया गया उनके वापसी का रास्ता क्या होगा या उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है उसका जिम्मेदार कौन है