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July 19, 2011

Vija Ki Anumati

कोरिया जिले का मनेन्द्रगढ़ थाना इन दिनों सुर्ख़ियों में है शहर में हो रही चोरिया और कुछ दिन पूर्व हुए मर्डर केस को पुलिश अभी सुलझा भी नही पी है की एक पाकिस्तानी नागरिक के वीजा में सील मुहर एवं दस्तखत न लगाने से थाना चर्चा में है और वही अधिकारी थानेदार के अज्ञानता को दोष दे रहे हैं.

सैयद इस्तेफाक हुसैन पाकिस्तान के कराची शहर का रहें वाला है. इसकी ससुराल मनेन्द्रगढ़ के चनावारीडांड ग्राम पंचायत में है. दिनांक १४ जून को इस्तेफाक अपने परिवार सहित भारत सरकार से  वीजा लेकर ३० दिनों की अनुमति लेकर भारत पहुंचा जिसका पासपोर्ट नं. ६८९१३३१ व वीजा नं. p/८९६३२१ था जिसके तहत इस्तेफाक को अपने अपने परिवार को लेकर ६ जुलाई को पाकिस्तान लौटना था. आप सोच रहे होंगे अगर ६ जुलाई को इस्तेफाक को पाकिस्तान लौटना था तो अब तक इस्तेफाक भारत में क्या कर रहा है. तो हम आपको बता दे की इस्तेफाक अपनी मर्जी से नही बल्कि मनेन्द्रगढ़ थाने की मेहरबानी से अब तक भारत में मौजूद है. क्योंकि नियमतः किसी भी परदेशी को अगर शहर में आवक होती है तो उसकी इंट्री थाने में करवाई जाती है. और जाते वक्त उसकी जावक भी लिखी जाती है. यह एक सार्वजनिक प्रक्रिया है जिससे हर मुसाफिर को गुजरना पड़ता है. सैयद जी के मामले में ऐसा हुआ ही नही. जब उन्होंने थानेदार से रेसिडेंटियल परमिट में स्थानीय थाने की सील व मुहर लगवानी थी जिसे दिखा कर मुनाबाऊ बोर्डर पर करना था पर मनेन्द्रगढ़ थाना प्रभारी ने थाने के रेजिस्टर में जाने की तारीख दर्ज किये बगैर और सील मुहर लगाये बिना प्रार्थी को रेसिडेंटियल परमिट वापस कर दिया जिससे उनके परिवार को बोर्डर से वापस लौटा दिया गया. और सदस्यों को कागजी कार्यवाही के लिए फिर से मनेन्द्रगढ़ आना पड़ा.

पाकिस्तानी निवासी सैयद इस्तियाक हुसैन अपनी ९ माह कि बच्ची के साथ दर दर भटक रहे हैं वही मीडिया के दखल देने के बाद पुलिश अधिकारीयों ने अपनी गलती स्वीकारी है और कहा है कि जल्द से जल्द सम्बंधित दस्तावेजो को पूर्ण कर दिया जायेगा जिससे इस्तेयाक अपने वतन वापस लौट सके.


(सहारा समय)

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