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October 01, 2011

Bhalu ki Maut

कोरिया जिले में आज वन विभग के अधिकारियो की कायराना हरकत सामने आई है. बैकुंठपुर से ३० किलोमीटर दूर बरपानी गाँव में भालू को काबू न कर पाने के कारन मौत के घाट उतर दिया गया. इससे पहले भालू ने १ ग्रमीण को मौत के घाट उतरा था और ३ ग्रामीणों को गंभीर रूप से घायल कर दिया था.

वीओ- बरपानी गाँव में उस समय दहशत का माहौल तैयार हो गया जब भालू ने एक ग्रामीण को मौत के घाट उतर दिया. भालू ने ग्रामीण को मारने के बाद उसके शव को लगभग २ घंटे तक खरोंचता रहा. इस बात को देख समस्त ग्रामीण एकत्रित हो गए और उसे भागने की कोशिश की ताकि वह शव छोड़ कर के भाग जाये लेकिन भालू शव के साथ चीरफाड़ करता रहा. इस वीभत्स नज़ारे को देख कर सारे ग्रामीण भयभीत हो गए. लेकिन भालू नहीं भागा बल्कि जिन गरामनो ने उसे भागने की कोशिश की भालू ने उस पर भी हमला बोल दिया. जिसमे ३ ग्रामीण और गंभीर रूप से घायल हो गए. जिन्हें तत्काल रूप से जिला चिकित्सालय बैकुंठपुर इलाज के लिए रिफर कर दिया गया.

इस बीच वन विभाग का अमला भी बरपानी गाँव पहुँच गया. और पड़ाके फोड़ कर भालू को भागने की किशिश की. लेकिन भालू तस से मस नहीं हुआ. भालू को भागने के लिए वन विभाग के अधिकारीयों ने हवाई फायर भी किये. लेकिन फिर भी भालू नहीं भगा. इस बात से तंग हो कर वन विभाग के अधिकारीयों का आदेश प् कर पुलिस वालो को जान मारने का आदेश दिया गया. जिसमे पुलिस वालिओने गोली चला कर भालू की जान ले ली. गोली लगते ही भालू को तो मौत हो गयी. लेकिन इस बात को मीडिया के सामने नहीं लेन दिया गया. बल्कि मीडिया को भ्रमित कर यहाँ बताया गया की ग्रामीणों ने भालू को मार डाला. इस बात की पोल तब खुली जब मीडिया कर्मियों ने भालू पर चोट के निशान देखे ही नहीं भालू पर चोट के निशान के बजाये गोली का निशान था और उसके शरीर से खून बह रहा था. इस बात को जब मीडिया ने अधिकारीयों से पूछा तो अधिकारी पहले तो टाल मटोल करने लगे लेकिन अंततः उन्हें स्वीकारना पड़ा कि भालू की मौत गोली लगने से हुई और उच्चाधिकारियों से आदेश लेकर ही भालू पर गोली चलायी गयी. अधिकारीयों का ये भी कहना था की भालू काबू में नहीं आ रहा था और वह शव को छोड़ कर जा ही नहीं रहा था मजबूरन हमे गोली चलानी पड़ी.

वनविभाग के इस कायराना हरकत से भालू की तो मौत हो गयी लेकिन अगर विभाग के अधिकारी चाहते तो भालू को बेहोशी का इंजेक्सन लगा कर उसे काबू में पाया जा सकता था. पर वन विभाग ने इस प्रकार का कोई प्रयत्न नहीं किया. और आसान रास्ता देख भालू को ही समाप्त कर दिया. हम आपको बता दे जिस भालू की मौत हुई वह मादा भालू थी. मादा भालू की मौत ने यह सवाल खड़ा कर दिया है क्या इंसान और जानवर में कोई फर्क नहीं है. या वनविभाग के अधिकारीयों ने जल्दबाजी में कोई गलत फैसला तो नहीं ले लिया.

(सहारा समय)

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